आकांक्षा डोगरा ने शिविर में उपस्थित महिलाओं को निःशुल्क कानूनी सहायता, मध्यस्थता, लोक अदालत राज्य पीड़ित मुआवज़ा योजना व नालसा के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रणाली में मध्यस्थ की भूमिका अहम है। मध्यस्थतों के माध्यम से लंबित मामलों के निपटारे की दिशा में बेहतर प्रयास किया जा सकता है। सभी न्यायालयों में मध्यस्थता केंद्र खोले गए हैं। इन केंद्रों में मध्यस्थता करवाने के लिए प्रशिक्षित मध्यस्थतों की नियुक्ति की गई है। आम नागरिकों को मध्यस्थतों की सेवा निःशुल्क प्रदान की जा रही है। आम नागरिक स्वेच्छा से अपने मामलों का निपटारा मध्यस्थतों के माध्यम से कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक महिला को किसी भी ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है जो जानबूझकर लगातार अभ्रद इशारे या शारीरिक बल द्वारा उस पर हमला करता है या उसका शील भंग करने प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी मामलों में विधि सम्मत कार्रवाई करने के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी ने कहा कि विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय, राज्य, ज़िला व उपमंडल स्तर पर निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध करवाने के लिए तथा लोगों की समस्याओं के निदान के लिए व्यवस्था की गई है। सभी महिलाएं, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग, जिनकी आय तीन लाख से कम हो, बाढ़ व प्राकृतिक आपदा से ग्रस्त लोग, औद्योगिक श्रमिक और वरिष्ठ नागरिक निःशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए पात्र हैं।
अधिवक्ता शरद सिंह बाली ने इससे पूर्व महिलाओं को समानता का अधिकार, फैक्ट्री अधिनियम 1948 व दहेज प्रथा अधिनियम तथा अधिवक्ता अभित कौशल ने भरण पोषण अधिनियम और घरेलू हिंसा अधिनियम के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।
खंड विकास अधिकारी पट्टा कुलदीप सिंह ने विभाग द्वारा महिलाओं के कल्याण के लिए कार्यान्वित की जा रही कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान की पुलिस विभाग से धनवीर सिंह ने महिला सुरक्षा एवं यातायात व्यवस्था के बारे में जानकारी साझा की।
इस अवसर पर ग्राम पंचायत बारियां के उप प्रधान नेकराम ने मुख्यातिथि का स्वागत किया और शिविर के आयोजन के लिए ज़िला विधिक सेवाएं प्राधिकरण का आभार व्यक्त किया। इस शिविर में पंचायत सदस्य सहित अन्य स्थानीय महिलाओं ने भाग लिया।